Sara Zamana

Mitraz

इन बादलों में इन रास्तो में
क्यूँ आज तेरे फिर खामोशी
इन काग़ज़ों में फिर क्या लिखू मैं
अब जो कहानी है अधूरी
तुझे क्यूँ ना दिल कह पाया
तेरे बिन ना रह पाया
इन गलियों को छोड़के
कहाँ चला
तुझे क्यूँ ना दिल कह पाया
तेरे बिन ना रह पाया
इस भीगे मौसम में
कहाँ फिरा
आज सारा ज़माना लगता हसीन
पर तेरे बिना ये खाक नही
आज सारा ज़माना लगता हसीन
पर तेरे बिना ये कुछ खाक नही

कैसा जुनून है दिल को सुकून है
फिर आरज़ू में क्यूँ ही जलु मैं
इन काग़ज़ों में अब क्या लिखू मैं
ये जो कहानी है अधूरी
तुझे क्यूँ ना दिल कह पाया
तेरे बिन ना रह पाया
इन गलियों को छोड़के
कहाँ चला
तुझे क्यूँ ना दिल कह पाया
तेरे बिन ना रह पाया
इस भीगे मौसम में
कहाँ फिरा
आज सारा ज़माना लगता हसीन
पर तेरे बिना ये खाक नही
आज सारा ज़माना लगता हसीन
पर तेरे बिना ये कुछ खाक नही
आज सारा ज़माना लगता हसीन
पर तेरे बिना ये खाक नही
आज सारा ज़माना लगता हसीन
पर तेरे बिना ये कुछ खाक नही

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