Dil Ke Zakkham

Sameer Anjaan

दिल के ज़ख़्म तो दीखते नहीं
दिल के ज़ख़्म तो दीखते नहीं
कैसे तुझको दिखलाऊ मैं
नादान है कुछ समझे नहीं
कैसे तुझको समजाउ मैं
कैसे तुझको समजाउ मैं
दिल के ज़ख़्म तो दीखते नहीं

दर्द बयां करने लगी
अब मेरी तन्हाईया
बन गयी है मेरी ज़ुबान
ये मेरी खामोशियाँ
दर्द बयां करने लगी
अब मेरी तन्हाईया
बन गयी है मेरी ज़ुबान
ये मेरी खामोशियाँ
खामोशियों की आवाज़ को
कैसे तुझको सुनाऊ मैं
नादान है कुछ समझे नहीं
कैसे तुझको समजाउ मैं
दिल के ज़ख़्म तो दीखते नहीं

हैरान हु जाने ना तू
अनजानी इस प्यास को
छू के कभी देखे नहीं
तू मेरे एहसास को
हैरान हु जाने ना तू
अनजानी इस प्यास को
छू के कभी देखे नहीं
तू मेरे एहसास को
तेरे लिए क्या शिद्दत मेरी
कैसे तुझको बतलाऊ मैं
नादान है कुछ समझे नहीं
कैसे तुझको समजाउ मैं
दिल के ज़ख़्म तो दीखते नहीं

Trivia about the song Dil Ke Zakkham by Mohammed Irfan

Who composed the song “Dil Ke Zakkham” by Mohammed Irfan?
The song “Dil Ke Zakkham” by Mohammed Irfan was composed by Sameer Anjaan.

Most popular songs of Mohammed Irfan

Other artists of Religious