Mohabbat

Sagar Bhatia

मुझे हा मोहब्बत हुई है
एक और हसरत हुई है
गुस्ताख़ी दिल से हुई है
क्या करूँ
कुछ सूझता ही नही है
जाने या ग़लत क्या सही है
हर चीज़ बदली हुई है
क्या कहु
मैं तेरा यूँ हो गया
खुद की तो सुध बुध ही नही
रूबरू जो तू नही
हो जाए साँसे भी कहीं

वो आए मुस्कुराए मुस्कुरकर ये कहा
हा छूलो ख्वाब मेरे जिनमे हो तुम रवाँ
मैने हस के उनको ये बोला
जो ना कह सका मैं तू बोला
तूने राज़ दिल का जो खोला मान लू
जाने कैसी हरकत हुई थी
मेरे दिल मे बरकत हुई थी
या खुदा की रहमत हुई थी
क्या कहु
मैं तेरा यूँ हो गया
खुद की तो सुध बुध ही नही ये ये
रूबरू जो तू नही
हो जाए साँसे भी कहीं

कर लेना तू बात मेरे दिल
कह देना एक दफ़ा मेरे दिल
हूँ मैं तन्हा महफ़िल वही है
एक वो ही मंज़िल मेरी है
अब तय जो कर मैने ली है जीत लू
चलो माना जो आब यकीन है
मुझे हो गयी आशिकी है
पर जान तू नाज़मी है
क्या करूँ
मैं तेरा यूँ हो गया
खुद की तो सुध बुध ही नही
रूबरू जो तू नही
हो जाए साँसे भी कहीं

Trivia about the song Mohabbat by Mohammed Irfan

Who composed the song “Mohabbat” by Mohammed Irfan?
The song “Mohabbat” by Mohammed Irfan was composed by Sagar Bhatia.

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