Zikr Tera
हा हा हा हा
महरम सा लगे
लफ्ज़ हर तेरा
मुझको मंज़िलों का
मिल गया है रास्ता
तुझसे जो जुड़ा है
इस दिल का राबता
साँसों को मिला है
धड़कनो का कारवाँ
इक शिफा सा लगे
तू मेरे दर्द का
तू मेरा है जहाँ
तू सुकून रूह का
तुझको पाके दिल मेरा ये
हो गया है जावेदा
ज़िक्र तेरा आयतों सा
तू लगे है राहतों सा
तू सुकु है चाहतों का
बाखुदा
ज़िक्र तेरा आयतों सा
तू लगे है राहतों सा
तू सुकु है चाहतों का
बाखुदा
तुझको पाके इस दिल को
जन्नते हैं मिली
इश्क़ को मेरे तुझसे
रौनके हैं मिली
रुक गया तुझ पे मैं तो
छोड़ के ये जहाँ
मेरी तन्हाइयों को
रहमतें हैं मिली
शुक्र तेरा ए ख़ुदाया
हो गया यूँ मेहरबान
ज़िक्र तेरा आयतों सा
तू लगे है राहतों सा
तू सुकु है चाहतों का
बाखुदा
ज़िक्र तेरा आयतों सा
तू लगे है राहतों सा
तू सुकु है चाहतों का
बाखुदा
आसमान को तू मेरे
चांदनी सा लगा
शबनमी मौसम की तरह
मुझ में तू है बसा
ख्वाहिशों के साहिलों पे
मुझको तू है दिखा
दिल की सुखी ज़मीन पे
बारीशों सा गिरा
शुक्र तेरा ए ख़ुदाया
हो गया यूँ मेहरबान
ज़िक्र तेरा आयतों सा
तू लगे है राहतों सा
तू सुकु है चाहतों का
बाखुदा
ज़िक्र तेरा आयतों सा (आ आ आ)
तू लगे है राहतों सा (आ आ आ)
तू सुकु है चाहतों का (आ आ आ)
बाखुदा (आ आ आ)