Yeh Nazaara Kitna Laajawaab Hai [Live]
ये नज़ारा कितना लाजवाब है
जनाब सईद राही की लिखी हुई एक नशीली गजल पेश-ए-खिदमत है
ये नज़ारा कितना लाजवाब है शेख जी के सामने शराब हैं
ये नज़ारा कितना लाजवाब है शेख जी के सामने शराब हैं
जो नसीहतो से परे परे
जो नसीहतो से परे परे ज़िंदगी उसी की कामयाब हैं
ये नज़ारा कितना लाजवाब है शेख जी के सामने शराब हैं
चाँद से कहो के अपनी राह ले
चाँद से कहो के अपनी राह ले मेरे पास मेरा माहताब हैं
ये नज़ारा कितना लाजवाब है शेख जी के सामने शराब हैं
तू मेरे वूजूद से अलग नही
तू मेरे वूजूद से अलग नही मैं हूँ खुशबू और तू गुलाब हैं
ये नज़ारा कितना लाजवाब है शेख जी के सामने शराब हैं
ये गुरूर ये दिमाग़ किस लिए
ये गुरूर ये दिमाग़ किस लिए राही चार दिन का ये शबाब हैं
ये नज़ारा कितना लाजवाब है शेख जी के सामने शराब हैं
ये नज़ारा कितना लाजवाब है शेख जी के सामने शराब हैं
शेख जी के सामने शराब हैं, शेख जी के सामने शराब हैं