Khali Khali Sa
Avinash Chouhan, Anurag Saikia
पतझड़ क्यों ले आए
मन का आलम हाए
रूखी डाली सा है
खाली खाली सा है
खाली खाली सा है खाली खाली सा है खाली खाली सा है खाली खाली सा है
उम्मीदों पे झूठी
घी की चूरी रूठी
कुछ ऐसा ही हाल वो तेरी
गुड की प्याली का है
खाली खाली सा है
खाली खाली सा है खाली खाली सा है खाली खाली सा है
ओ.. साथ तो है सब लेकिन
फिर भी है सूने से रे
सहम से जाते हैं अब हवा के छूने से रे
भर आता है...भर आता है गला लेकिन
बूंद आंखों से न गिरे
जले जियरा रात जैसे
काली स्याही है
हा हा हा हा हा हा हा हा
खाली खाली सा है
खाली खाली सा है
खाली खाली सा है
खाली खाली सा है