Balma Barkha Rut Aayee
INDIVAR GAUHAR KANPURI, ZAFAR IQBAL
बलमा बरखा रुत आई
बलमा बरखा रुत आई
तू भी आजा पिया नाही लागे जिया
बैरन रैन डराए
बलमा बरखा रुत आई
तू भी आजा पिया नाही लागे जिया
बैरन रैन डराए
बलमा बरखा रुत आई
मनवा तरसे बद्रा बरसे
रुत आई हैं सावन की
रस की बूंदे च्चां च्चां बरसे
आस लगी तोरे आने की
आस लगी तोरे आने की
तू भी आजा पिया नाही लागे जिया
बैरन रैन डराए
बलमा बरखा रुत आई
होल होल पिया पिया बोले
आज पापिहा घुलशन में
प्रीत के लाखो फूल खिले है
आज हुमारे जीवन में
आज हुमारे जीवन में
तू भी आजा पिया नाही लागे जिया
बैरन रैन डराए
बलमा बरखा रुत आई
कोयल कुके भामरा गाए
मॅन मोरा तडपाए रे
आस मिलन की ऐसी लागी
चैन जीया ना पाए रे
चैन जीया ना पाए रे
तू भी आजा पिया नाही लागे जिया
बैरन रैन डराए
बलमा बरखा रुत आई
तू भी आजा पिया नाही लागे जिया
बैरन रैन डराए
बलमा बरखा रुत आई
बलमा बरखा रुत आई