Ishq Hai
Sara Gurpal
खुशनुमा सा लगे जहां
जैसे कोई मुझे गुदगुदाने लगा
इतराने लगा दिल मेरा
जाने क्या हुआ हे क्या पता
नई नई बातें बनाया
कभी कोई जाने सुनाया
नई नई मौसम हे सजाया
हे बैठा
मेरा हे के मुझसे ही छुपाया
उसका ही ज्यादा हे कहलाया
अपनी ही चाले चलाये रहता
इश्क हे तो मुझे भी ये बताये
मैंने न कभी कहा हे कहा
मेरी आहें उसे भी बताये
मैंने न कभी कहा हे कहा
इश्क हे तो मुझे भी ये बताये
मैंने न कभी कहा हे कहा