Husn Pahadon Ka

Ravindra Jain

आ आ आ आ
हो हो हो हो हो हो
हो हो हो हो
हा हा

हुस्न पहाड़ों का ओह शाहिबा
हुस्न पहाड़ों का
क्या कहना की बारों महीने
यहाँ मौसम जाड़ों का
क्या कहना की बारों महीने
यहाँ मौसम जाड़ों का

रुत ये सुहानी है मेरी जान रुत ये सुहानी है
के शरदिसे डर कैसा संग गरम जवानी है
के शरदिसे डर कैसा संग गरम जवानी है

हो हो हो हो हो हो हो
आ आ आ आ आ हम्म हम्म हम्म

तुम परदेसी किधर से आए
आते ही मेरे मन में समाए
करूँ क्या हाथों से मन निकला जाए
करूँ क्या हाथों से मन निकला जाए

छोटे छोटे झरने हैं
के झरनों का पानी छूके
कुच्छ वादे करने हैं

झरने तो बहते हैं
क़सम लें पहाड़ों की
जो कायम रहते हैं

ओ ओ ओ ओ ओ(हम्म हम्म हम्म हम्म)
आहा

खिले खिल्ले फूलो से भरी भरी वादी
रात ही रात में किसने सजादि
लगता है जैसे यहा अपनी हो शादी
लगता है जैसे यहा अपनी हो शादी

क्या घूल बूते है पहाड़ों में यह कहते हैं
परदेसी तो झूठे हैं
हो हाथ है हाथो में
के रसता तट ही गया
इन प्यार की बातो में
दुनिया ये गाती हैं (दुनिया ये गाती हैं)
सुनोजी ये दुनिया ये गाती है(सुनोजी दुनिया ये गाती है)
के प्यार से रस्ता तो क्या (के प्यार से रस्ता तो क्या)
ज़िंदगी कट जाती है (ज़िंदगी कट जाती है)
के प्यार से रस्ता तो क्या (के प्यार से रस्ता तो क्या)
ज़िंदगी कट जाती है (ज़िंदगी कट जाती है)

Trivia about the song Husn Pahadon Ka by Suresh Wadkar

Who composed the song “Husn Pahadon Ka” by Suresh Wadkar?
The song “Husn Pahadon Ka” by Suresh Wadkar was composed by Ravindra Jain.

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