Kajrari Matwari Madhbhari Do Ankhian
कजरारी मतवारी मदभरी दो अँखियाँ
पीया तोरी इन अखियन में
बैठ के मैंने देखि सब दुनिया
पीया तोरी दो अँखियाँ
कजरारी मतवारी मदभरी दो अँखियाँ
जैसे नील कमल की कलियाँ जैसे भँवर मतवारे
प्रीत की अन्जानी नगरी के दो अनजाने तारे
रंग रस की गलियां
पीया तोरी मतवारी मदभरी दो अँखियाँ
कजरारी मतवारी मदभरी दो अँखियाँ
पीया तोरी दो अँखियाँ
चपल नैन चपला जिन चमके
चन्द्र कोर सी लच लच लचके
आधार धरत पग धरण धरत
इन नाचत है बृजनारी
ता थत तिधा दीधी थाई
ता थत तिधा दीधी थाई
ता थत तिधा दीधी थाई
तेरी अँखियाँ में चंचल सागर डूब के तार गया जियरा
डूब के तार गया जियरा
तोरे नैनं के नील गगन में खो गया मेरा हियरा
खो गया मेरा हियरा
मैं खोजूं दिन रतियाँ पीया तोरी
मतवारी मदभरी दो अँखियाँ
कजरारी मतवारी मदभरी दो अँखियाँ
कजरारी मतवारी मदभरी मदभरी दो अँखियाँ
पीया तोरी कजरारी मतवारी मदभरी दो अँखियाँ
मदभरी दो अँखियाँ
मदभरी दो अँखियाँ