Tamam Umr Bahekte Rahe Hain [Live]

Mumtaz Rashid, Peenaz Masani

तमाम उम्र बहेलते
रहे हैं खाबों से
तमाम उम्र बहेलते
रहे हैं खाबों से
हूमें मिले हैं
शहरे इन्ही शायरबो से
तमाम उम्र

ख़याल शोहराते
रुसवाई और क्या करते
ख़याल शोहराते
रुसवाई और क्या करते
मिटता दिया हैं तेरा
नाम भी किताबों से
मिटता दिया हैं तेरा
नाम भी किताबों से
तमाम उम्र

हर एक नशे से हैं बढ़ कर
तुम्हारे घूम का नशा
हर एक नशे से हैं बढ़ कर
तुम्हारे घूम का नशा
दिले तबाह ना संभाला
कभी शराबो से
दिले तबाह ना संभाला
कभी शराबो से
तमाम उम्र

बदल गयी जो वो
नज़ारे तो क्या हुआ रशीद
बदल गयी जो वो
नज़ारे तो क्या हुआ रशीद
बचा हैं कौन
ज़माने की इन्क़लाबो से
बचा हैं कौन
ज़माने की इन्क़लाबो से
तमाम उम्र बहेलते
रहे हैं खाबों से
तमाम उम्र

Trivia about the song Tamam Umr Bahekte Rahe Hain [Live] by पिनाझ मसानी

When was the song “Tamam Umr Bahekte Rahe Hain [Live]” released by पिनाझ मसानी?
The song Tamam Umr Bahekte Rahe Hain [Live] was released in 2008, on the album “The Khazana Concert”.
Who composed the song “Tamam Umr Bahekte Rahe Hain [Live]” by पिनाझ मसानी?
The song “Tamam Umr Bahekte Rahe Hain [Live]” by पिनाझ मसानी was composed by Mumtaz Rashid, Peenaz Masani.

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