Kabhi Jhooth KO Sach

ALTAF RAJA, LIYAKAT AJMERI

कभी झूठ को सच बना कर दिखा दो
मेरे दिल मे तसरीफ ला कर दिखा दो
कभी झूठ को सच बना कर दिखा दो
मेरे दिल मे तसरीफ ला कर दिखा दो
कभी झूठ को सच बना कर दिखा दो
मेरे दिल मे तसरीफ ला कर दिखा दो
चराग़-ए वफ़ा तुम जला कर दिखा दो
मेरे दिल मे तसरीफ ला कर दिखा दो
कभी झूठ को सच

ना अंदाज़ ऐसा बहारो मे पाया
ना तुमको खि चाँद तारो मे पाया
ना तुमको खि चाँद तारो मे पाया
ज़िंदगी की हस्िन्न आँखो मे
आसमानी सा एक ख्वाब हो तुम
देख लो पुच्छ कर सितारो से
हुसन्न हो या की महताब हो तुम
ना अंदाज़ ऐसा बहारो मे पाया
ना तुमको खि चाँद तारो मे पाया
ना तुमको खि चाँद तारो मे पाया
मुझे तुमने कैसा दीवाना बनाया
अचानक कभी तुम आक्र् दिखा तुम
मेरे दिल मे तसरीफ ला कर दिखा दो
कभी झूठ को सच

तुम्हे ढूढ़ते ढूढ़ते खो गये है
ज़माने से हम बेख़बर हो गये है
ज़माने से हम बेख़बर हो गये है
इश्क़ जब तक ना कर सके रुसवा
आदमी काम का नही होता
अब तो ये भी ना रहा एहसास
दर्द होता है या नही होता
तुम्हे ढूढ़ते ढूढ़ते खो गये है
ज़माने से हम बेख़बर होगये है
ज़माने से हम बेख़बर होगये है
तुम्हे याद करते हुए सो गये है
तराना मोहब्बत का गेया कर दिखा दो
मेरे दिल मे तसरीफ ला कर दिखा दो
कभी झुत को सच

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