Dialogue Kaalia [Kaliya And Jailor's Confrontation]
आज तुमने बड़ी ऊँची छलांग लगाई हे कालिया
रघुबीर की जेल से भागने की कोशिश कई कैदियों ने की
लेकिन जितनी दूर तुम पहुँच गए हो आज
इतनी दूर पहले कोई नहीं पहुँचा
आजादी हर कैदी का खवाब होती हे
लेकिन अभी अभी तुम्हारे अंदर
खून की हर बूँद और बार तुम्हारे
शरीर का हर रोम चीखे गा और कहेगा
कालिया तुमने ये खवाब देखा तो क्यों देखा
इसे सर से पाँव तक इतना लोहा पहना दो
की उसके बाद न तो ये बगावत के लिए सर उठा सके
न आजादी की तरफ कदम बढ़ा सके
बाप ने अब तक जेल की जंजीरो और सलाखों का लोहा देखा हे जेलर साहब
कालिया की हिम्मत का फौलाद नहीं देखा
पहना दीजिये मुझे सर से पावँ तक जंजीरे
चुनवा दीजिये जमीन से लेके आसमान तक लोहे की दीवारे
कालिया हर दिवार फाँद के दिखा देगा जेलर साहब
हर जंजीर तोड़ कर दिखा देगा समझे