Paap Mere Vaaste Hai
पाप मेरे वास्ते है नाम लेकर आज भी तुमको बुलाना
है वही छाती कि जो अपनी तहों में
राज़ कोई हो छिपाए
जो कि अपनी टीस अपने आप झेले
मत किसीको भी सुनाए
दर्द जो मेरे लिए था
दर्द जो मेरे लिए था गर्व उसपर
आज मुझको हो रहा है
पाप मेरे वास्ते है नाम लेकर आज भी तुमको बुलाना
वो अगस्ती रात मस्ती की, गगन में
चाँद निकला था अधूरा
वो अगस्ती रात मस्ती की, गगन में
चाँद निकला था अधूरा
किंतु मेरी गोद काले बादलों के
बीच में था चाँद पूरा
देह-वह थी भी अलग कब-नेह दोनों
एक मिलकर हो गए थे
वेदनामय है मुझे तो उस घड़ी को याद रखना या भुलाना
पाप मेरे वास्ते है नाम लेकर आज भी तुमको बुलाना
फिर हमारे बीच घडिया और फिर दिन फिर महीने साल आए
बिस दुनियाबी बखेड़े सौ तरह के जाल और जंजाल आए
मार होती है बड़ी सबसे समय की ख्याल पर
मार होती है बड़ी सबसे समय की ख्याल पर
अब देखता हूँ तुम ना वो अब मैं ना वो अब
वो ना मौसम वो तबियत वो ज़माना
पाप मेरे वास्ते है नाम लेकर आज भी तुमको बुलाना
उन रूपेली यादगारो के लिए पर मैं नहीं आँसू गिराता
उन रूपेली यादगारो के लिए पर मैं नहीं आँसू गिराता
मैं उसी क्षण के लिए रोता के जिस में मैं नहीं पूरा समाता
मैं उसी क्षण के लिए रोता के जिस में मैं नहीं पूरा समाता
और मैं जिस में समाता पूर्ण वो बन गीत नभ में गूँजता है
तुम इसे पढ़ना कभी तो भूल कर मत आँख से मोती ढुलाना
पाप मेरे वास्ते है नाम लेकर आज भी तुमको बुलाना