Dard Ke Phool Bhi

JAGJIT SINGH, JAVED AKHTAR

दर्द के फूल भी खिलते हैं बिखर जाते हैं
दर्द के फूल भी खिलते हैं बिखर जाते हैं
ज़ख़्म कैसे भी हों कुछ रोज़ में भर जाते हैं
दर्द के फूल भी खिलते हैं बिखर जाते हैं

उस दरीचे में भी अब कोई नहीं और हम भी
उस दरीचे में भी अब कोई नहीं और हम भी
सर झुकाए हुए चुपचाप गुज़र जाते हैं

रास्ता रोके खड़ी है यही उलझन कब से
रास्ता रोके खड़ी है यही उलझन कब से
कोई पूछे तो कहें क्या कि किधर जाते हैं
ज़ख़्म कैसे भी हों कुछ रोज़ में भर जाते हैं
दर्द के फूल भी खिलते हैं बिखर जाते हैं

नर्म आवाज़, भली बातें, मुहज़्ज़ब लहजे
नर्म आवाज़, भली बातें, मुहज़्ज़ब लहजे
पहली बारिश ही में ये रंग उतर जाते हैं
पहली बारिश ही में ये रंग उतर जाते हैं
दर्द के फूल भी खिलते हैं बिखर जाते हैं
ज़ख़्म कैसे भी हों कुछ रोज़ में भर जाते हैं
दर्द के फूल भी खिलते हैं बिखर जाते हैं

Trivia about the song Dard Ke Phool Bhi by Jagjit Singh

When was the song “Dard Ke Phool Bhi” released by Jagjit Singh?
The song Dard Ke Phool Bhi was released in 2010, on the album “Silsilay - Jagjit Singh / Javed Akhtar”.
Who composed the song “Dard Ke Phool Bhi” by Jagjit Singh?
The song “Dard Ke Phool Bhi” by Jagjit Singh was composed by JAGJIT SINGH, JAVED AKHTAR.

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