Hum Toh Hai Pardes Mein

Rahi Masoom Raza

हम तो हैं परदेस में, देस में निकला होगा चांद
हम तो हैं परदेस में, देस में निकला होगा चांद
अपनी रात की छत पर कितना, तन्हा होगा चांद, हो ओ ओ
हम तो हैं परदेस में, देस में निकला होगा चांद

जिन आँखों में काजल बन कर तैरी काली रात हो
जिन आँखों में काजल बन कर तैरी काली रात हो
उन आँखों में आँसू का एक कतरा होगा चांद हो
हम तो हैं परदेस में, देस में निकला होगा चांद

रात ने ऐसा पेच लगाया, टूटी हाथ से डोर हो
रात ने ऐसा पेच लगाया, टूटी हाथ से डोर
आँगन वाले नीम में जाकर अटका होगा चांद हो
हम तो हैं परदेस में, देस में निकला होगा चांद

चांद बिना हर दिन यूँ बीता जैसे युग बीतें हो
चांद बिना हर दिन यूँ बीता जैसे युग बीतें
मेरे बिना किस हाल में होगा, कैसा होगा चांद, हो ओ ओ
हम तो हैं परदेस में, देस में निकला होगा चांद
अपनी रातकी छत पर कितना, तन्हा होगा चांद, हो ओ ओ
हम तो हैं परदेस में, देस में निकला होगा चांद

Trivia about the song Hum Toh Hai Pardes Mein by Jagjit Singh

Who composed the song “Hum Toh Hai Pardes Mein” by Jagjit Singh?
The song “Hum Toh Hai Pardes Mein” by Jagjit Singh was composed by Rahi Masoom Raza.

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