Kahin Door Jab Din Dhal Jaye

A, N, Salil Chowdhury

कहीं दूर जब दिन ढल जाए
साँझ की दुल्हन बदन चुराए
चुपके से आए

कहीं दूर जब दिन ढल जाए
साँझ की दुल्हन बदन चुराए
चुपके से आए
मेरे ख़यालों के आँगन में
कोई सपनों के दीप जलाए दीप जलाए
कहीं दूर जब दिन ढल जाए
साँझ की दुल्हन बदन चुराए
चुपके से आए

कभी यूँहीं जब हुईं बोझल साँसें
भर आई बैठे बैठे जब यूँ ही आँखें
कभी यूँहीं जब हुईं बोझल साँसें
भर आई बैठे बैठे जब यूँ ही आँखें
तभी मचल के प्यार से चल के
छुए कोई मुझे पर नज़र न आए नज़र न आए
कहीं दूर जब दिन ढल जाए
साँझ की दुल्हन बदन चुराए
चुपके से आए

कहीं तो ये दिल कभी मिल नहीं पाते
कहीं से निकल आए जनमों के नाते
कहीं तो ये दिल कभी मिल नहीं पाते
कहीं से निकल आए जनमों के नाते
घनी थी उलझन बैरी अपना मन
अपना ही होके सहे दर्द पराये दर्द पराये
कहीं दूर जब दिन ढल जाए
साँझ की दुल्हन बदन चुराए
चुपके से आए

दिल जाने मेरे सारे भेद ये गहरे
खो गए कैसे मेरे सपने सुनहरे
दिल जाने मेरे सारे भेद ये गहरे
खो गए कैसे मेरे सपने सुनहरे
ये मेरे सपने यही तो हैं अपने
मुझसे जुदा न होंगे इनके ये साये इनके ये साये
कहीं दूर जब दिन ढल जाए
साँझ की दुल्हन बदन चुराए
चुपके से आए
मेरे ख़यालों के आँगन में
कोई सपनों के दीप जलाए दीप जलाए
कहीं दूर जब दिन ढल जाए
साँझ की दुल्हन बदन चुराए
चुपके से आए

Trivia about the song Kahin Door Jab Din Dhal Jaye by Jagjit Singh

When was the song “Kahin Door Jab Din Dhal Jaye” released by Jagjit Singh?
The song Kahin Door Jab Din Dhal Jaye was released in 2010, on the album “Close To My Heart - Jagjit Singh”.
Who composed the song “Kahin Door Jab Din Dhal Jaye” by Jagjit Singh?
The song “Kahin Door Jab Din Dhal Jaye” by Jagjit Singh was composed by A, N, Salil Chowdhury.

Most popular songs of Jagjit Singh

Other artists of World music