Os Pade Bahar Par
JAGJIT SINGH, JIGAR MORADABADI
ओस पड़े बहार पर
आग लगे कनार में
तुम जो नहीं कनार में
लुत्फ ही क्या बहार में
उसे करे खुदा रहम
गरदीश-ए-रोजगार में
अपनी तलाश छोडकर जो हैं
तलाश-ए-यार में
हम कहीं जाने वाले-ए-अहद
हम कहीं जाने वाले-ए-अहद
दामन-ए-इश्क छोडकर
ज़ेस्ट तेरे हुज़ूर में
मौत तेरे दयार में
ओस पड़े बहार पर
ओस पड़े बहार पर