Saher Gahe Ide Mein Daur - E - Suboo Tha
सहर गाह-ए-ईद में दौर-ए-सुबु था
पर अपने जाम में तुझ बिन लहु था
सहर गाह-ए-ईद में
गुल-ओ-आइना क्या खुर्शीद-ओ-माह क्या
गुल-ओ-आइना क्या खुर्शीद-ओ-माह क्या
जिधर देखा उधर तेरा ही रुउ था
सहर गाह-ए-ईद में
मगर दीवाना था घुली किसी का
मगर दीवाना था घुली किसी का
की पहरहां सौ जगका हार
सहर गाह-ए-ईद में
ना देखा 'मीर'-ए-आवारा को लेकिन
ना देखा 'मीर'-ए-आवारा को लेकिन
ग़ुबार इक नातवाँ सा कू-ब-कू था
सहर गाह-ए-ईद में