Shabe Gham Aye Mere Allah

Jagjit Singh

शब-ए-ग़म ऐ मेरे(शब-ए-ग़म ऐ मेरे)
अल्लाह बसर भी होगी(अल्लाह बसर भी होगी)
शब-ए-ग़म ऐ मेरे अल्लाह(शब-ए-ग़म ऐ मेरे(अल्लाह)
रात ही रात रहेगी के(रात ही रात रहेगी के)
सहर भी होगी(सहर भी होगी)
शब-ए-ग़म ऐ मेरे अल्लाह(शब-ए-ग़म ऐ मेरे अल्लाह)

मैं ये सुनता हूँ के
वो दुनिया की खबर रखते हैं
मैं ये सुनता हूँ के
वो दुनिया की खबर रखते हैं
मैं ये सुनता हूँ के
वो दुनिया की खबर रखते हैं
जो ये सच है तो उन्हे
मेरी खबर भी होगी
शब-ए-ग़म ऐ मेरे अल्लाह

चैन मिलने से है उनके
ना जुदा रहने से
चैन मिलने से है उनके
ना जुदा रहने से
चैन मिलने से है उनके
ना जुदा रहने से
आख़िर ऐ इश्क़ किसी तरह
बसर भी होगी
शब-ए-ग़म ऐ मेरे अल्लाह
रात ही रात रहेगी के(रात ही रात रहेगी के)
सहर भी होगी(सहर भी होगी)
शब-ए-ग़म ऐ मेरे अल्लाह(शब-ए-ग़म ऐ मेरे अल्लाह)
मेरे अल्लाह मेरे अल्लाह(मेरे अल्लाह मेरे अल्लाह)

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