Shamm - E - Mazar Thi

Bekhud Dehlvi

शम्मे मज़ार थी ना कोई सो गँवार था
शम्मे मज़ार थी ना कोई सो गँवार था
तुम जिस पे रो रहे थे वो किसका मज़ार था
शम्मे मज़ार थी ना कोई सो गँवार था

तड़पूंगा उम्र भर दिल-ए-मरहूम के लिए

तड़पूंगा उम्र भर दिल-ए-मरहूम के लिए
कमबख्त नामुराद लड़कपन का यार था
तुम जिस पे रो रहे थे वो किसका मज़ार था
शम्मे मज़ार थी ना कोई सो गँवार था

जादू है या तिलिस्म तुम्हारी जुबान में
जादू है या तिलिस्म तुम्हारी जुबान में
तुम झूठ कह रहें थे मुझे ऐतबार था
शम्मे मज़ार थी ना कोई सो गँवार था

क्या क्या हमारी सजदे की रुसवाइयाँ हुई

क्या क्या हमारी सजदे की रुसवाइयाँ हुई
नक़्शे कदम किसी का सरे रहगुजार था
तुम जिस पे रो रहे थे वो किसका मज़ार था
शम्मे मज़ार थी ना कोई सो गँवार था

Trivia about the song Shamm - E - Mazar Thi by Jagjit Singh

Who composed the song “Shamm - E - Mazar Thi” by Jagjit Singh?
The song “Shamm - E - Mazar Thi” by Jagjit Singh was composed by Bekhud Dehlvi.

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