Shayad Aa Jayega Saqi Ko

JAGJIT SINGH, RAIS RAMPURI

शायद आ जायेगा साकी को तरस अब के बरस
शायद आ जायेगा साकी को तरस अब के बरस
मिल ना पाया है उन आँखों का भी रस अब के बरस
शायद आ जायेगा साकी को तरस अब के बरस

ऐसी छायी थी कहाँ गम की घटायें पहले

ऐसी छायी थी कहाँ गम की घटायें पहले
हाँ मेरे दिदाय तर खूब बरस अब के बरस
शायद आ जायेगा साकी को तरस अब के बरस

उफ़ वो उन उम्मद भरी आँखों के छलकते हुये जाम
उफ़ वो उन उम्मद भरी आँखों के छलकते हुये जाम
बढ़ गयी और भी पीने की हवस अब के बरस
शायद आ जायेगा साकी को तरस अब के बरस

पहले ये कब था कि वो मेरे है मैं उनका हूँ
पहले ये कब था कि वो मेरे है मै उनका हूँ
उनकी यादों ने सताया है तो बस अब के बरस
शायद आ जायेगा साकी को तरस अब के बरस
मिल ना पाया है उन आँखों का भी रस अब के बरस
शायद आ जायेगा साकी को तरस अब के बरस

Trivia about the song Shayad Aa Jayega Saqi Ko by Jagjit Singh

Who composed the song “Shayad Aa Jayega Saqi Ko” by Jagjit Singh?
The song “Shayad Aa Jayega Saqi Ko” by Jagjit Singh was composed by JAGJIT SINGH, RAIS RAMPURI.

Most popular songs of Jagjit Singh

Other artists of World music