Woh Kagaz Ki Kashti [Part - 2]
JAGJIT SINGH, SUDARSHAN FAAKIR
कभी रेत के ऊँचे टीलों पे जाना
घरौंदे बनाना बना कर मिटाना
वो मासूम चाहत की तस्वीर अपनी
वो ख़्वाबों खिलौनों की जागीर अपनी
न दुनिया का ग़म था न रिश्तों के बंधन
न दुनिया का ग़म था न रिश्तों के बंधन
बड़ी खूबसूरत थी वो ज़िंदगानी
बड़ी खूबसूरत थी वो ज़िंदगानी
बड़ी खूबसूरत थी वो ज़िंदगानी
बड़ी खूबसूरत थी वो ज़िंदगानी