Woh Khat Ke Purze Udaa Raha Tha

Gulzar, Jagjit Singh

वो ख़त के पुर्ज़े उड़ा रहा था
वो ख़त के पुर्ज़े उड़ा रहा था
हवाओं का रुख़ दिखा रहा था
वो ख़त के पुर्ज़े उड़ा रहा था

कुछ और भी हो गया नुमायाँ
कुछ और भी हो गया नुमायाँ
मैं अपना लिक्खा मिटा रहा था
मैं अपना लिक्खा मिटा रहा था
हवाओं का रुख़ दिखा रहा था
वो ख़त के पुर्ज़े उड़ा रहा था

उसी का ईमाँ बदल गया है
उसी का ईमाँ बदल गया है
कभी जो मेरा ख़ुदा रहा था
कभी जो मेरा ख़ुदा रहा था
हवाओं का रुख़ दिखा रहा था
वो ख़त के पुर्ज़े उड़ा रहा था

वो एक दिन एक अजनबी को
वो एक दिन एक अजनबी को
मेरी कहानी सुना रहा था
मेरी कहानी सुना रहा था
हवाओं का रुख़ दिखा रहा था
वो ख़त के पुर्ज़े उड़ा रहा था

वो उम्र कम कर रहा था मेरी
वो उम्र कम कर रहा था मेरी
मैं साल अपने बढ़ा रहा था
मैं साल अपने बढ़ा रहा था
हवाओं का रुख़ दिखा रहा था
वो ख़त के पुर्ज़े उड़ा रहा था
हवाओं का रुख़ दिखा रहा था

Trivia about the song Woh Khat Ke Purze Udaa Raha Tha by Jagjit Singh

Who composed the song “Woh Khat Ke Purze Udaa Raha Tha” by Jagjit Singh?
The song “Woh Khat Ke Purze Udaa Raha Tha” by Jagjit Singh was composed by Gulzar, Jagjit Singh.

Most popular songs of Jagjit Singh

Other artists of World music