Zindagi Tune [Face To Face]

Sudarshan Faakir

ज़िंदगी तू ने लहू ले के
दिया कुच्छ भी नहीं
ज़िंदगी तू ने लहू ले के
दिया कुच्छ भी नहीं
तेरे दामन मैं मेरे
वेस्ट क्या कुच्छ भी नहीं
ज़िंदगी तू ने लहू ले के
दिया कुच्छ भी नहीं

मेरे इन हाथों की
चाहो टोतलाशी ले लो
मेरे इन हाथों की
चाहो टोतलाशी ले लो
मेरे हाथों में लकीरों
के सिवकूच्छ भी नहीं
ज़िंदगी तू ने लहू ले के
दिया कुच्छ भी नहीं

हम ने देखा है कई
ऐसे खुड़ाओंको यहाँ
हम ने देखा है कई
ऐसे खुड़ाओंको यहाँ
समेने जिन के वो
सच मच का खुदा
कुच्छ भी नहीं
ज़िंदगी तू ने लहू ले
के दिया कुच्छ भी नहीं

या खुदा अब के यह किस
रंग में आई है बाहर
या खुदा अब के यह किस
रंग में आई है बाहर
ज़ार्ड ही ज़ार्ड है पेड़ों पे
हरा कुच्छ भी नहीं
ज़िंदगी तू ने लहू ले के
दिया कुच्छ भी नहीं

दिल भी एक ज़िद पे अदा है
किसी बच्चे की तरह
दिल भी एक ज़िद पे अदा है
किसी बच्चे की तरह
या तो सब कुच्छ ही इसे
चाहिए या कुच्छ भी नहीं
ज़िंदगी तू ने लहू ले के
दिया कुच्छ भी नहीं
तेरे दामन मैं मेरे
वेस्ट क्या कुच्छ भी नहीं
ज़िंदगी तू ने लहू ले के
दिया कुच्छ भी नहीं

Trivia about the song Zindagi Tune [Face To Face] by Jagjit Singh

Who composed the song “Zindagi Tune [Face To Face]” by Jagjit Singh?
The song “Zindagi Tune [Face To Face]” by Jagjit Singh was composed by Sudarshan Faakir.

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