Zulmat Kade Mein Mere [Lofi]

JAGJIT SINGH, MIRZA GHALIB

ज़ुल्मत-कदे में मेरे
ज़ुल्मत-कदे में मेरे, शब-ए-ग़म का जोश है
इक शम’आ है दलील-ए-सहर, सो ख़मोश है

दाग़-ए-फ़िराक़-ए-सोहबत-ए-शब की जली हुई
दाग़-ए-फ़िराक़-ए-सोहबत-ए-शब की जली हुई
इक शम’आ रह गई है, सो वो भी खामोश है
ज़ुल्मत-कदे में मेरे, शब-ए-ग़म का जोश है

आते हैं ग़ैब से, ये मज़ामीं ख़याल में
आते हैं ग़ैब से, ये मज़ामीं ख़याल में
ग़ालिब, सरीर-ए-ख़ामा नवा-ए-सरोश है
ज़ुल्मत-कदे में मेरे, शब-ए-ग़म का जोश है
इक शम’आ है दलील-ए-सहर, सो ख़मोश है
ज़ुल्मत-कदे में मेरे, शब-ए-ग़म का जोश है

Trivia about the song Zulmat Kade Mein Mere [Lofi] by Jagjit Singh

Who composed the song “Zulmat Kade Mein Mere [Lofi]” by Jagjit Singh?
The song “Zulmat Kade Mein Mere [Lofi]” by Jagjit Singh was composed by JAGJIT SINGH, MIRZA GHALIB.

Most popular songs of Jagjit Singh

Other artists of World music