Mujrim Na Kehna Mujhe

Brij Bihari

आ आ आ आ आ

आ आ आ आ आ

मुजरिम न कहना मुझे लोगो
मुजरिम तो सारा ज़माना है
मुजरिम न कहना मुझे लोगो
मुजरिम तो सारा ज़माना है
पकड़ा गया वो चोर है
जो बच गया वो सयाना है
मुजरिम न कहना मुझे लोगो
मुजरिम तो सारा ज़माना है
पकड़ा गया वो चोर है
मुजरिम न कहना मुझे लोगो
मुजरिम तो सारा ज़माना है

जिस उम्र में चाहिये माँ का आँचल
मुझको सलाखे मिली (आ आ)
नन्हे से हाथों में पुस्तक के बदले
हथकडिया डाली गई (आ आ)
बचपन ही जब कैद खाने मे बीता
जवानी का फिर क्या ठिकाना है
मुजरिम न कहना मुझे लोगो
मुजरिम तो सारा ज़माना है

आ आ आ आ
मैं था पसीना बहाने को राज़ी
रोटी न फिर भी मिली
मैंने शराफत से जब जीना चाहा
ठोकर पे ठोकर लगी
मैं था पसीना बहाने को राज़ी
रोटी न फिर भी मिली (आ आ)
मैंने शराफत से जब जीना चाहा
ठोकर पे ठोकर लगी (आ आ)
कैसे भी हो पेट की आग है ये
के आग को बुझाना है
मुजरिम न कहना मुझे लोगो
मुजरिम तो सारा ज़माना है

ल ल ला ला ला ला
ल ल ला ला ला ला

पापो की बस्ती में कैसे रहेगा
बनके कोई देवता (आ आ)
जीवन के संग्राम में सब मुनासिफ
क्या है भला क्या बुरा (आ आ)
इंसान लेकिन कभी ये न भूले
भगवान के घर भी जाना है
मुजरिम न कहना मुझे लोगो
मुजरिम तो सारा ज़माना है
पकड़ा गया वो चोर है
जो बच गया वो सयाना है
मुजरिम न कहना मुझे लोगो (आ आ)
मुजरिम तो सारा ज़माना है (आ आ)

आ आ आ आ आ आ
आ आ आ आ आ आ
आ आ आ आ आ आ
आ आ आ आ आ आ

Trivia about the song Mujrim Na Kehna Mujhe by Mohammed Aziz

Who composed the song “Mujrim Na Kehna Mujhe” by Mohammed Aziz?
The song “Mujrim Na Kehna Mujhe” by Mohammed Aziz was composed by Brij Bihari.

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