Aaj Itihas Phir Khud Ko Dohara Raha
Vishweshwar Sharma
आज इतिहास फिर खुद को दोहरा रहा
बाप की राह बेटा चला जा रहा
देखते देखते क्या से क्या हो गया
आज तक का कमाया सभी खो गया
आ गया फिर वही
आ गया फिर वही
दौर मंझधार का
एक दिन जीत का एक दिन हार का
एक दिन जीत का एक दिन हार का
जिंदगी नाम हे वक्त की मार का