Ab Mohabbat Men Jo Pahle Thi

Akhtar Lakhnavi, Iqbal Qureshi

अब मोहब्बत में जो पहले थी वो तासीर नहीं
अब मोहब्बत में जो पहले थी वो तासीर नहीं
अब वो शिरी नहीं लैला नहीं वो हीर नहीं
अब वो शिरी नहीं लैला नहीं
अब वो शिरी नहीं लैला नहीं वो हीर नहीं
अब मोहब्बत में जो पहले थी वो तासीर नहीं
अब वो शिरी नहीं लैला नहीं वो हीर नहीं

साथ मरने की तड़प अब कहा हसीनों में
याद झूठी है चमक हुआ के नागिनों में
प्यार दौलत से वे करते है इन्हें प्यार नहीं
अब हमें इनकी वफाओं का एतबार नहीं
अब वो शिरी नहीं, अब वो लैला नहीं
अब वो शिरी नहीं लैला नहीं वो हीर नहीं
अब मोहब्बत में जो पहले थी वो तासीर नहीं
अब वो शिरी नहीं लैला नहीं वो हीर नहीं

ना इल्हें पा से मोहब्बत ना इन्हें पा से वफ़ा
इन का पेशा है सितम, इन का सेवा है जवां
प्यार कहती है वे दुनिया जिसे वो प्यार नहीं
किसको दिल देके यहाँ कोई भी दिलदार नहीं
अब वो शिरी नहीं, अब वो लैला नहीं
अब वो शिरी नहीं लैला जिसे वो हीर नहीं
अब मोहब्बत में जो पहले थी वो तासीर नहीं
अब वो शिरी नहीं लैला नहीं वो हीर नहीं

ये हसी धोके सनम बनके जिया करते हैं
इश्क की खा के कसम लूट लिया करते हैं
फिर भी कह ते हम से की वफादार नहीं
फिर भी रोते हैं कोई इनका खरीदार नहीं
अब वो शिरी नहीं, अब वो लैला नहीं
अब वो शिरी नहीं लैला नहीं वो हीर नहीं
अब मोहब्बत में जो पहले थी वो तासीर नहीं
अब वो शिरी नहीं लैला नहीं वो हीर नहीं

Trivia about the song Ab Mohabbat Men Jo Pahle Thi by Mohammed Rafi

Who composed the song “Ab Mohabbat Men Jo Pahle Thi” by Mohammed Rafi?
The song “Ab Mohabbat Men Jo Pahle Thi” by Mohammed Rafi was composed by Akhtar Lakhnavi, Iqbal Qureshi.

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