Ae Chand Ki Zebai Tu

Hasrat Jaipuri, Shankar-Jaikishan

ऐ चाँद की ज़ेबाई
तू झूल जा बाँहों में
मदहोश बहारें भी
लेने लगीं अंगडाई
ऐ चाँद की ज़ेबाई
तू झूल जा बाँहों में
मदहोश बहारें भी
लेने लगीं अंगडाई
ऐ चाँद की ज़ेबाई

जलने दे मेरे दिल को
रुखसार के शोलों में
जलने दे मेरे दिल को
रुखसार के शोलों में
आता है नशा हमदम
मौजों के झकोलों में
पागल किये देती है
महकी हुयी तन्हाई
मदहोश बहारें भी
लेने लगीं अंगडाई
ऐ चाँद की ज़ेबाई

दामन न बचा मुझ से
दामन से लिपटने दे
दामन न बचा मुझ से
दामन से लिपटने दे
आँचल की यह दीवारें
गिरती हैं तो गिरने दे
जुड़ा जो खुला तेरा
खुश्बू सी चली आयी
मदहोश बहारें भी
लेने लगीं अंगडाई
ऐ चाँद की ज़ेबाई

जिस हाथ को थामा है
वह हाथ न छोडूंगा
जिस हाथ को थामा है
वह हाथ न छोडूंगा
कितने भी जनम ले लो
मैं साथ न छोडूंगा
सदियों से मैं तेरा हूँ
ऐ जान-इ-तमन्नाई
मदहोश बहारें भी
लेने लगीं अंगडाई
ऐ चाँद की ज़ेबाई
तू झूल जा बाँहों में
मदहोश बहारें भी
लेने लगीं अंगडाई
ऐ चाँद की ज़ेबाई

Trivia about the song Ae Chand Ki Zebai Tu by Mohammed Rafi

Who composed the song “Ae Chand Ki Zebai Tu” by Mohammed Rafi?
The song “Ae Chand Ki Zebai Tu” by Mohammed Rafi was composed by Hasrat Jaipuri, Shankar-Jaikishan.

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