Ae Shahare Lucknow

Naushad, Shakeel Badayuni

आए शहर-ए-लखनऊ तुझे मेरा सलाम है
आए शहर-ए-लखनऊ तुझे मेरा सलाम है
तेरा ही नाम दूसरा जन्नत का नाम है
आए शहर-ए-लखनऊ

मेरे लिए बहार भी तू गुल बदन भी तू
परवाना और शम्मा भी तू अंजुमन भी तू
ज़ुल्फो की तरह महकी हुई तेरी शाम है
आए शहर-ए-लखनऊ

कैसा निखार तुझ मे है क्या क्या है बागपन
ग़ज़लें गली गली हैं तो नगमे चमन चमन
शायर के दिल से पूछ तेरा क्या मकाम है
आए शहर-ए-लखनऊ तुझे मेरा सलाम है
तेरा ही नाम दूसरा जन्नत का नाम है
आए शहर-ए-लखनऊ

तू वो है लोग शेहरे निकारा कहे जिसे
फिरदौस-ए-हुस्न रशके बहारा कहे जिसे
तेरी हर एक अदा मे वफ़ा का पयाम है
आए शहर-ए-लखनऊ तुझे मेरा सलाम है
तेरा ही नाम दूसरा जन्नत का नाम है
आए शहर-ए-लखनऊ

Trivia about the song Ae Shahare Lucknow by Mohammed Rafi

Who composed the song “Ae Shahare Lucknow” by Mohammed Rafi?
The song “Ae Shahare Lucknow” by Mohammed Rafi was composed by Naushad, Shakeel Badayuni.

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