Agar Bewafa Tujhko Pehchan Jate

Prem Dhawan

अगर बेवफ़ा तुझको पहचान जाते
ख़ुदा की क़सम हम मुहब्बत न करते
जो मालूम होता ये इलज़ाम ए उलफ़त
तो दिल को लगाने की ज़ुर्रत न करते
अगर बेवफ़ा तुझको पहचान जाते
ख़ुदा की क़सम हम मुहब्बत न करते

जिन्हें तुमने समझा मेरी बेवफ़ाई
मेरी ज़िन्दगी की वो मजबूरियाँ थीं
जिन्हें तुमने समझा
हमारी मुहब्बत का इक इम्तिहां था
ये दो दिन की थोड़ी सी जो दूरियाँ थीं जो दूरियाँ थीं
अगर सच्ची होती मुहब्बत तुम्हारी
तो घबरा के तुम यूँ शिकायत न करते
अगर बेवफ़ा तुझको पहचान जाते
ख़ुदा की क़सम हम मुहब्बत न करते

जो हम पर है गुज़री हमीं जानते हैं
सितम कौन सा है नहीं जो उठाया
जो हम पर है गुज़री
निगाहों में फिर भी रही तेरी सूरत
हर एक सांस में तेरा पैगाम आया पैगाम आया
अगर जानते तुम ही इलज़ाम दोगे
तो भूले से भी हम तो उलफ़त न करते
अगर बेवफ़ा तुझको पहचान जाते
ख़ुदा की क़सम हम मुहब्बत न करते

Trivia about the song Agar Bewafa Tujhko Pehchan Jate by Mohammed Rafi

Who composed the song “Agar Bewafa Tujhko Pehchan Jate” by Mohammed Rafi?
The song “Agar Bewafa Tujhko Pehchan Jate” by Mohammed Rafi was composed by Prem Dhawan.

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