ऐसे तो न देखो की

ROSHAN, MAJROOH SULTANPURI

ऐसे तो न देखो के बहक जाएं कहीं हम
आखिर को इक इनसां हैं फ़रिश्ता तो नहीं हम
हाय ऐसे न कहो बात के मर जाएं यहीं हम
आखिर को इक इनसां हैं फ़रिश्ता तो नहीं हम

अंगड़ाई सी लेती है जो खुशबू भरी ज़ुल्फ़ें
खुशबू भरी ज़ुल्फ़ें
गिरती है तेरे सुर्ख लबों पर तेरी ज़ुल्फ़ें
लबों पर तेरी ज़ुल्फ़ें
ज़ुल्फ़ें न तेरी चूम लें
ज़ुल्फ़ें न तेरी चूम लें ऐ महजबीं हम
आखिर को इक इनसां हैं फ़रिश्ता तो नहीं हम
आहा हा आहा हा हा हम्म हम्म हम्म हम्म

सुन सुन के तेरी बात नशा छाने लगा है
नशा छाने लगा है
खुद अपने पे भी प्यार सा कुछ आने लगा है
आने लगा है
रखना है कहीं पाँव तो
रखना है कहीं पाँव तोरखते हैं कहीं हम
आखिर को इक इनसां हैं फ़रिश्ता तो नहीं हम

फ़िका सा रुख ए नाज ये हल्का सा पसीना
ये हल्का सा पसीना हाय
ये नाचती आँखों के भंवर दिल का सफ़िना
दिल का सफ़िना
सोचा है के अब डूब के
सोचा है के अब डूब के रह जाए यही हम
आखिर को इक इनसां हैं फ़रिश्ता तो नहीं हम
हाय ऐसे न कहो बात के मर जाएं यहीं हम
आखिर को इक इनसां हैं फ़रिश्ता तो नहीं हम
आहा हा आहा हा हा हम्म हम्म हम्म हम्म

Trivia about the song ऐसे तो न देखो की by Mohammed Rafi

Who composed the song “ऐसे तो न देखो की” by Mohammed Rafi?
The song “ऐसे तो न देखो की” by Mohammed Rafi was composed by ROSHAN, MAJROOH SULTANPURI.

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