Ajal Se Husn Parasti Mera Mizaaj Ladakapan Se Aashiqana Hai

Rajendra Krishan

अजल से हुस्न परस्ती लिखी थी किस्मत में
गुज़र रही है मेरी ज़िन्दगी मुहब्बत में
मेरा मिज़ाज लड़कपन से आशिक़ाना है
मेरा मिज़ाज लड़कपन से आशिक़ाना है
मेरा मिज़ाज लड़कपन से आशिक़ाना है
मिजाज आशिकाना है मिजाज आशिकाना है
मेरा मिज़ाज लड़कपन से आशिक़ाना है

अदा ए हुस्न पे हस्ती निसार करता हूँ
मेरा तो काम यही है के प्यार करता हूँ
पर एक बार नहीं बार बार करता हूँ
हो प्यार करता हूँ
मेरे लबों पे सदा इश्क़ का तराना है
मेरे लबों पे सदा इश्क़ का तराना है
मेरा मिज़ाज लड़कपन से आशिक़ाना है
मिजाज आशिकाना है मिजाज आशिकाना है
मेरा मिज़ाज लड़कपन से आशिक़ाना है

मुझे डराएंगी क्या मुश्क़िले ज़माने की
के मेरे सीने को आदत है तीर खाने की
ओ हुस्न वालो ज़रूरत नही निशाने की
नहीं निशाने की
ख़ुशी से तीर चलाओ ये दिल निशाना है
ख़ुशी से तीर चलाओ ये दिल निशाना है
मेरा मिज़ाज लड़कपन से आशिक़ाना है
मिजाज आशिकाना है मिजाज आशिकाना है
मेरा मिज़ाज लड़कपन से आशिक़ाना है

Trivia about the song Ajal Se Husn Parasti Mera Mizaaj Ladakapan Se Aashiqana Hai by Mohammed Rafi

Who composed the song “Ajal Se Husn Parasti Mera Mizaaj Ladakapan Se Aashiqana Hai” by Mohammed Rafi?
The song “Ajal Se Husn Parasti Mera Mizaaj Ladakapan Se Aashiqana Hai” by Mohammed Rafi was composed by Rajendra Krishan.

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