Apna Gaon Sambhalo

Krishan, Laxmikant, Pyarelal, Rajinder

नयी हवा मे उड़ाने देखो
वन का मोर चला
अपना गाओं संभलो
मई तो सहर की और चला
अपना गाओं संभलो
मई तो सहर की और चला
नयी हवा मे उड़ाने देखो
वन का मोर चला
अपना गाओं संभलो
मई तो सहर की और चला
अपना गाओं संभलो
मई तो सहर की और चला

सुनते है सहर मैं
जब जब सावन भादो आता है
सुनते है सहर मैं
जब जब सावन भादो आता है
पानी की बूँदो के बदले हारे नोट बरसता है
भर लेता है झोली जिसका जितना ज़ोर चला
अपना गाओं संभलो
मई तो सहर की और चला
अपना गाओं संभलो
मई तो सहर की और चला

ये भी सुना ही रात वाहा की दिन को सर्माती है
ये भी सुना ही रात वाहा की दिन को सर्माती है
दीवारो को हाथ लगाओ तो बत्ती जल जाती है
अपनाए घर तो दिया कभी सारी रात जला
अपना गाओं संभलो
मई तो सहर की और चला
अपना गाओं संभलो
मई तो सहर की और चला
नयी हवा मे उड़ाने देखो
वन का मोर चला
अपना गाओं संभलो
मई तो सहर की और चला
अपना गाओं संभलो
मई तो सहर की और चला.

Trivia about the song Apna Gaon Sambhalo by Mohammed Rafi

Who composed the song “Apna Gaon Sambhalo” by Mohammed Rafi?
The song “Apna Gaon Sambhalo” by Mohammed Rafi was composed by Krishan, Laxmikant, Pyarelal, Rajinder.

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