Apne Haathon Ko Pehchan Murakh

Azmi Kaifi, S D Burman

हो हो अपने हाथो को पहचान
अपने हाथो को पहचान
मूर्ख इनमे है भगवान
मुझ पर तुझ पर सब पर ही
इन दो हाथो का अहसान
अपने हाथो को पहचान

हाथ उठाते है जो किसान
पर्वत काट गिरते है
बढ़ते चड़ते पानी मे
बाँध के बंद दिखाते है
जंगल से खेतो की तरफ
मोड़ के दरिया लाते है
अपने हाथो को पहचान

मुति भर दाना लेकर
ये तो जमी मे बिखराए
जीतने तारे चमकते है
उतने ही पोढ़े उग जाए
बुख जहा तक देख सके
खेत वाहा तक लहराए
अपने हाथो को पहचान

तूने गाड़े ईटो से
हाथो का है याराना
छत को गगन दे नज़राना
बस्ता जाए सहर नया
सजता जाए वीराना
अपने हाथो को पहचान
चीनी ओर हात्ोड़ी का
खेल अगर ये दिखलाए
उभरे चेहरे पठार मे
देवी देवता मुस्काये
चमके डंके ताज महल
ताज महल ताज महल
चाँद सितारे जगमगाए
अपने हाथो को पहचान
चक चले इन हाथो पे
पहिया जैसे जीवन का
आँख झपक ते लग जाए
मेला कोरे बर्तन का
हाथो के चूल्‍हे मे से
सोना बनता है जेवर
रूप को चमका देते है
कंगन झुमके ओर जेवर
बिन सारंगी तबला ढोल
सब कुछ हाथ बनाते है
तरो मे आवाज़ कहा
हाथ हमारे गाते है

Trivia about the song Apne Haathon Ko Pehchan Murakh by Mohammed Rafi

Who composed the song “Apne Haathon Ko Pehchan Murakh” by Mohammed Rafi?
The song “Apne Haathon Ko Pehchan Murakh” by Mohammed Rafi was composed by Azmi Kaifi, S D Burman.

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