Chal Chal Re Musafir Chal

Shailendra

चल चल रे मुसाफिर चल
तू उस दुनिया मैं चल
चल चल रे मुसाफिर चल
तू उस दुनिया मैं चल
जहा दिल का इक इशारा
हो और दुनिया जाए बदल
चल चल रे मुसाफिर चल
तू उस दुनिया मैं चल

मस्ती भारी हवाए जिस गली
में जाए फूल खिलाए
यह मदहोश निगाहे जिसपे
अटक जाए अपना बनाए
यह मदहोश निगाहे जिसपे
जहा प्यार का
रास्ता कोई ना रोके
कोई ना कहे संभाल
चल चल रे मुसाफिर
तू उस दुनिया मैं चल

रूप की प्यासी आँखे दिल
में अरमान सौ तूफान
आख़िर कभी तो होगी
तुमसे पहचान ओ अंजान
आख़िर कभी तो होगी
कभी तो रिमझिम बरसेंगे
यह रंग बारे बादल
चल चल रे मुसाफिर
तू उस दुनिया मैं चल

प्यार की रीत निराली जो मौसम
जाए जेया के ना आए
दम भर की उजियाली जब दिन
ढाल जाए दिल घबराए
जहाँ उजड़े ना सिंगार
किसी का फैले ना काजल
चल चल रे मुसाफिर चल

Trivia about the song Chal Chal Re Musafir Chal by Mohammed Rafi

Who composed the song “Chal Chal Re Musafir Chal” by Mohammed Rafi?
The song “Chal Chal Re Musafir Chal” by Mohammed Rafi was composed by Shailendra.

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