Chale Aa Rahe Hain Woh Zulfen Bikhre

K. MOHINDER SINGH BEDI, MOHD. RAFI, K. Mohinder Singh Bedi

हम्म हम्म हम्म हम्म
चले आ रहे हैं वो जुल्फें बिखेरे
चले आ रहे हैं वो जुल्फें बिखेरे
उजाले से लिपटे हुए हैं अंधेरे
चले आ रहे हैं वो जुल्फें बिखेरे
झुकी सी वो उनकी हया-बार आँखें
झुकी सी वो उनकी हया-बार आँखें
वो पलकों के साए घनेरे घनेरे
वो पलकों के साए घनेरे घनेरे
आ आ आ आ आ आ
कभी हो तो जाए
आ आ कभी हो तो जाए
मेरे घर चराग
कभी आ तो जाओ अंधेरे अंधेरे
कभी आ तो जाओ अंधेरे अंधेरे
अगर हो सके इनको अपना बना ले
अगर हो सके इनको अपना बना ले
ये पूर-कैफ़ लम्हे ना तेरे ना मेरे
चले आ रहे हैं वो जुल्फें बिखेरे
उजाले से लिपटे हुए हैं अंधेरे
चले आ रहे हैं वो जुल्फें बिखेरे
चले आ रहे हैं

Trivia about the song Chale Aa Rahe Hain Woh Zulfen Bikhre by Mohammed Rafi

When was the song “Chale Aa Rahe Hain Woh Zulfen Bikhre” released by Mohammed Rafi?
The song Chale Aa Rahe Hain Woh Zulfen Bikhre was released in 1988, on the album “Rafi Aye Jaan E Ghazal”.
Who composed the song “Chale Aa Rahe Hain Woh Zulfen Bikhre” by Mohammed Rafi?
The song “Chale Aa Rahe Hain Woh Zulfen Bikhre” by Mohammed Rafi was composed by K. MOHINDER SINGH BEDI, MOHD. RAFI, K. Mohinder Singh Bedi.

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