Hari Ka Dhyan Laga Man Mere

Pandit Shivram

हरि का ध्यान लगा मन मेरे
मिट जाएँगे सब दुख तेरे

सब दुख तेरे

सुमिरन कर ले साँझ-सवेरे
मिट जाएँगे सब दुख तेरे

सब दुख तेरे

जल में, थल में, नील गगन में
कण-कण में है प्रभु की छाया रे, भाई
जिसने मन की आँखें खोली
उसने उसका दर्शन पाया रे, भाई
जो नर हरि की माला फेरे
छूटे जनम-जनम के फेरे

जनम के फेरे

हरि का ध्यान लगा मन मेरे
मिट जाएँगे सब दुख तेरे

सब दुख तेरे

डगर-डगर पर झूटा मेला रे
भरमाती है झूटी माया रे, भाई
कौन साथ धन ले जाएगा रे
कौन साथ धन लेके आया रे, भाई
जग में सबके रैन-बसेरे
साथ किसी के कौन चले रे

कौन चले रे

हरि का ध्यान लगा मन मेरे
मिट जाएँगे सब दुख तेरे

सब दुख तेरे

सुमिरन कर ले साँझ-सवेरे
मिट जाएँगे सब दुख तेरे

सब दुख तेरे

राम कृष्ण हरि, गोपाल कृष्ण हरि

राम कृष्ण हरि, गोपाल कृष्ण हरि

राम कृष्ण हरि, गोपाल कृष्ण हरि

राम कृष्ण हरि, गोपाल कृष्ण हरि

राम कृष्ण हरि, गोपाल कृष्ण हरि

राम कृष्ण हरि, गोपाल कृष्ण हरि

राम कृष्ण हरि, गोपाल कृष्ण हरि

राम कृष्ण हरि, गोपाल कृष्ण हरि

राम कृष्ण हरि, गोपाल कृष्ण हरि

राम कृष्ण हरि, गोपाल कृष्ण हरि

आ आ राम कृष्ण हरि, गोपाल कृष्ण हरि

राम कृष्ण हरि, गोपाल कृष्ण हरि (हे हे)

राम कृष्ण हरि, गोपाल कृष्ण हरि (राम कृष्ण हरि, गोपाल कृष्ण हरि)
राम कृष्ण हरि, गोपाल कृष्ण हरि (राम कृष्ण हरि, गोपाल कृष्ण हरि)
राम कृष्ण हरि, गोपाल कृष्ण हरि (राम कृष्ण हरि, गोपाल कृष्ण हरि)
राम कृष्ण हरि, गोपाल कृष्ण हरि (राम कृष्ण हरि, गोपाल कृष्ण हरि)
राम कृष्ण हरि, गोपाल कृष्ण हरि (राम कृष्ण हरि, गोपाल कृष्ण हरि)

Trivia about the song Hari Ka Dhyan Laga Man Mere by Mohammed Rafi

When was the song “Hari Ka Dhyan Laga Man Mere” released by Mohammed Rafi?
The song Hari Ka Dhyan Laga Man Mere was released in 2008, on the album “Hari Ka Dhyan Laga Man Mere”.
Who composed the song “Hari Ka Dhyan Laga Man Mere” by Mohammed Rafi?
The song “Hari Ka Dhyan Laga Man Mere” by Mohammed Rafi was composed by Pandit Shivram.

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