Hui Sham Unka Khayal Aa Gaya

LAXMIKANT PYARELAL, MAJROOH SULTANPURI

हुई शाम उन का ख़याल आ गया
हुई शाम उन का ख़याल आ गया
वही ज़िंदगी का सवाल आ गया
वही ज़िंदगी का सवाल आ गया
हुई शाम उन का ख़याल आ गया
हुई शाम उन का ख़याल आ गया

अभी तक तो होठों पे था
तबस्सुम का एक सिलसिला
बहोत शादमाँ थे हम उनको भुला कर
अचानक ये क्या हो गया
के चेहरे पे रंग-ए-मलाल आ गया
के चेहरे पे रंग-ए-मलाल आ गया
हुई शाम उन का ख़याल आ गया
हुई शाम उन का ख़याल आ गया

हमें तो यही था गुरूर
ग़म-ए-यार है हमसे दूर
वही ग़म जिसे हमने किस किस जतन से
निकाला था इस दिल से दूर
वो चलकर क़यामत की चाल आ गया
वो चलकर क़यामत की चाल आ गया
हुई शाम उन का ख़याल आ गया
वही ज़िंदगी का सवाल आ गया
हुई शाम उन का ख़याल आ गया
हुई शाम उन का ख़याल आ गया

Trivia about the song Hui Sham Unka Khayal Aa Gaya by Mohammed Rafi

Who composed the song “Hui Sham Unka Khayal Aa Gaya” by Mohammed Rafi?
The song “Hui Sham Unka Khayal Aa Gaya” by Mohammed Rafi was composed by LAXMIKANT PYARELAL, MAJROOH SULTANPURI.

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