Idhar To Haath La Pyaare

Majrooh Sultanpuri

छोड़ दे मन के भेद भाव को
तोड़ दे झूट की चार दिवारी
जनम मरण के एक तार से
बंधी हुई यह दुनिया सारी

कोई आता कोई जाता है
कोई आता कोई जाता है
सुख दुःख दोनों पाऊँ पर
संसार यह चलता जाता है
कोई आता कोई जाता है

एक डगर के हम सब राही
मंजिल एक हमरी
हर भरे लोगो की दुनिया
बस्ती है कब नायरी
जाने फिर क्यों मन का पंछी
माया फस जाता है
कोई आता कोई जाता है
कोई आता कोई जाता है

भूखे को रोटी दे अपनी
खुद भूखे सो जाए
और का दुःख अपना समझे
वो इंसान कहाये
जो मतलब से लिए जिए
वो जीते जी मर जाता है
कोई आता कोई जाता है
कोई आता कोई जाता है

Trivia about the song Idhar To Haath La Pyaare by Mohammed Rafi

Who composed the song “Idhar To Haath La Pyaare” by Mohammed Rafi?
The song “Idhar To Haath La Pyaare” by Mohammed Rafi was composed by Majrooh Sultanpuri.

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