Idhar To Haath La Pyare

MADAN MOHAN, MAJROOH SULTANPURI

इधर तो हाथ ला प्यारे दिखाऊँ दिन को भी तारे
लिखा है क‌या लकीरों में फ़क़ीरों से सुन जा रे
इधर तो हाथ ला प्यारे दिखाऊँ दिन को भी तारे
लिखा है क‌या लकीरों में फ़क़ीरों से सुन जा रे
इधर तो हाथ ला प्यारे

लिखा है तुझको तो किसी से उल्फ़त है
मगर उस ज़ालिम को तुझसे नफ़रत है
वो चाहे औरों को ये तेरी क़िस्मत है
ये ज़ालिम प्यार दिखलाता है क‌या क‌या नज़ारे
इधर तो हाथ ला प्यारे दिखाऊँ दिन को भी तारे
लिखा है क‌या लकीरों में फ़क़ीरों से सुन जा रे
इधर तो हाथ ला प्यारे

लकीरें कहती हैं ये तेरे हाथों में
कि तेरा मन उलझा है ऐसी बातों में
कि सोना मुश्किल है तुझे अब रातों में
ये तेरे भेद खोले हैं लकीरों ने सारे
इधर तो हाथ ला प्यारे दिखाऊँ दिन को भी तारे
लिखा है क‌या लकीरों में फ़क़ीरों से सुन जा रे
इधर तो हाथ ला प्यारे

किया है जो तूने वही पाएगा तू
बुरी होगी बेटा जो छिपाएगा तू
फ़क़ीरों से बच के कहाँ जाएगा तू
तेरी क़िस्मत की चाबी है मेरे हाथों में प्यारे
इधर तो हाथ ला प्यारे दिखाऊँ दिन को भी तारे
लिखा है क‌या लकीरों में फ़क़ीरों से सुन जा रे
इधर तो हाथ ला प्यारे दिखाऊँ दिन को भी तारे
लिखा है क‌या लकीरों में फ़क़ीरों से सुन जा रे
इधर तो हाथ ला प्यारे

Trivia about the song Idhar To Haath La Pyare by Mohammed Rafi

Who composed the song “Idhar To Haath La Pyare” by Mohammed Rafi?
The song “Idhar To Haath La Pyare” by Mohammed Rafi was composed by MADAN MOHAN, MAJROOH SULTANPURI.

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