Jahan Kahin Deepak Jalta Hai
जहा कही दीपक जलता है
वाहा पतंगा भी आता है
प्रीत की रीत यही है मूरख
तू काहे घबराता है
परवाने की नादानी पर
दुनिया हँसती है तो हँसे
प्यार की मीठी आग में
प्रेमी हँसते
हँसते जल जाता है
जो इक बार कह दो के
तुम हो हमारे
तो बदले यह
दुनिया बदले नज़ारे
जो इक बार कह दो
तुम हो हमारे
तो बदले यह
दुनिया बदले नज़ारे
जो इक बार कह दो
आकाश में
आकाश में
चाँद तारे हँसे
हमारे ही दिल
में अंधेरा बसे
निगाहो की गलियो
में चोरी से आके
जो तुम मुस्कुरा दो
तो खिल जाए तारे
जो इक बार कह दो
सुहानी है यह
सुहानी है यह
ज़िंदगी प्यार से
है मूरख जो
पचछाताए दिल हार के
यह बाजी है दुनिया
में सबसे निराली
जो हारे सो जीते जो
जीते वो हारे
जो इक बार कह दो