Jahan Kamna Ka Teri Bhavna Ka

Ravindra Jain

जहा कामना का
तेरी भावना का
नहीं मोल कोई
वो घर छोड़ दे
वो घर छोड़ दे
अरी ओ बावरी हो बावरी
जहा कामना का
तेरी भावना का
नहीं मोल कोई
वो घर छोड़ दे
वो घर छोड़ दे

जिसे देवता तूने मन
तुझे उसने जाना खिलौना
तू उस नासमझ की समझ पर
न रोना न अंचल भिगोना
जो अपनी न वो डगर छोड़ दे
डगर छोड़ दे
अरी ओ बावरी हो बावरी

जो लगते है अम्बर से ऊँचे
मगर मन से पूरी तेरी
तू धरती पे है तेरा जीवन
भला उनके संग कैसे पीते
उन्हें भाग्य के
नाम पे छोड़ दे
मगर छोड़ दे
जहा कामना का
तेरी भावना का
नहीं मोल कोई
वो घर छोड़ दे
वो घर छोड़ दे
अरी ओ बावरी हो बावरी

Trivia about the song Jahan Kamna Ka Teri Bhavna Ka by Mohammed Rafi

Who composed the song “Jahan Kamna Ka Teri Bhavna Ka” by Mohammed Rafi?
The song “Jahan Kamna Ka Teri Bhavna Ka” by Mohammed Rafi was composed by Ravindra Jain.

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