Jiska Man Ho Prem Ka Darpan

Taj Daar Taj

जिसका मन हो प्रेम का दर्पण
क्या कहता है उसे ज़माना
जिसका मन हो प्रेम का दर्पण
क्या कहता है उसे ज़माना
हो बन्दर बुध्धु अंजना
ओ बन्दर बुद्धू अनजाना पहचाना
मै न जणू दर्पण वरपन
बोल तू अपना पता ठिकाना
मै न जणू दर्पण वरपन
बोल तू अपना पता ठिकाना
बेघर प्रेमी दीवाना
मई तो बेघर प्रेमी दीवाना पहचाना

मै कौन कहा से आया हु
भूल भी जा ये बात
नहीं आशिक़ की होती है कोई भी जात
नहीं आशिक़ की होती है कोई भी जात
अरे हा मै बिन सोचे बिन जाने
कैसे दे दू हाथ में हाथ
नहीं निभती मोहब्बत अनाड़ी के साथ
नहीं निभती मोहब्बत अनाड़ी के साथ
जिसका मन हो प्रेम का दर्पण
क्या कहता है उसे ज़माना
जिसका मन हो प्रेम का दर्पण
क्या कहता है उसे ज़माना
ओ बन्दर बुध्धु अंजना
ओ बन्दर बुद्धू अनजाना पहचाना

ओ मई बहकी बहकी आहे हुँ पगले
होश दिल ज़रा रखो
मेरी ऊँगली पकड़ के कलै न ठाम
मेरी ऊँगली पकड़ के कलै न ठाम
अरे जो खुद जलने को बेकल हो
वो क्यों सोचे अनजान
आजा कर दे जवानी जवानी के नाम
आजा कर दे जवानी जवानी के नाम
अरे मै न जणू दर्पण वरपन
बोल तू अपना पता ठिकाना
मै न जणू दर्पण वरपन
बोल तू अपना पता ठिकाना
बेघर प्रेमी दीवाना
मई तो बेघर प्रेमी दीवाना पहचाना
जिसका मन हो प्रेम का दर्पण
क्या कहता है उसे ज़माना
जिसका मन हो प्रेम का दर्पण
क्या कहता है उसे ज़माना
ओ बन्दर बुध्धु अंजना

Trivia about the song Jiska Man Ho Prem Ka Darpan by Mohammed Rafi

Who composed the song “Jiska Man Ho Prem Ka Darpan” by Mohammed Rafi?
The song “Jiska Man Ho Prem Ka Darpan” by Mohammed Rafi was composed by Taj Daar Taj.

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