Kaun Apna Kaun Paraya

Ravi, Shakeel Badayuni

कौन अपना कौन पराया
कौन अपना कौन पराया कौन अपना कौन पराया
दुनिया का ये भेद अभी तक कोई समझ नहीं पाया
कौन अपना कौन पराया कौन अपना कौन पराया

जीवन की नैया में सभी हैं राही इक मंज़िल के
इन्हीं में मन के मीत मिलेंगे इन्हीं में दुश्मन दिल के
किसी के दिल में भरी है नफ़रत किसी में प्यार की माया
कौन अपना कौन पराया कौन अपना कौन पराया

बिछड़े लोग भी मिल जाते हैं कभी-कभी जीवन में
ख़ुशी की लहरें भी उठती हैं किसी के दुखिया मन में
कभी किसी ने खोया जग में कभी किसी ने पाया
कौन अपना कौन पराया कौन अपना कौन पराया

कोई मूरख बन के बेगाना अपनों को ठुकराए
कोई किसी की ख़ुशी के कारण रस्ते से हट जाए
कोई किनारा छोड़ के ढूँढे तूफ़ानों का साया
कौन अपना कौन पराया कौन अपना कौन पराया

Trivia about the song Kaun Apna Kaun Paraya by Mohammed Rafi

Who composed the song “Kaun Apna Kaun Paraya” by Mohammed Rafi?
The song “Kaun Apna Kaun Paraya” by Mohammed Rafi was composed by Ravi, Shakeel Badayuni.

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