Khuli Palak Mein Jhoonta Gussa [Classic Revival]

Hasrat Jaipuri

ज़रा ठहरो
ज़रा ठहरो
सदा मेरे दिल की ज़रा सुनते जा
खुली पलक में झूठा ग़ुस्सा, बंद पलक में प्यार
जीना भी मुश्किल, मरना भी मुश्किल
आँखों में इक़रार की झलकी, होंठों पे इनकार
जीना भी मुश्किल, मरना भी मुश्किल
खुली पलक में झूठा ग़ुस्सा, बंद पलक में प्यार
जीना भी मुश्किल, मरना भी मुश्किल

जिस दिन से देखा तुमको
तुम लगे मुझे अपने-से
और आते रहे आँखों में
और आते रहे आँखों में
एक मन चाहे सपने से
समझ ना आए, क्या जीता मैं और गया क्या हार
जीना भी मुश्किल, मरना भी मुश्किल
खुली पलक में झूठा ग़ुस्सा, बंद पलक में प्यार
जीना भी मुश्किल, मरना भी मुश्किल

तुम प्यार छुपाके हारे
मैं प्यार जताके हारा
अब तो सारी दुनिया पे
अब तो सारी दुनिया पे
ज़ाहिर है हाल हमारा
पहुँचके इस मंज़िल पे
लौटना अब तो है दुश्वार
जीना भी मुश्किल

Trivia about the song Khuli Palak Mein Jhoonta Gussa [Classic Revival] by Mohammed Rafi

Who composed the song “Khuli Palak Mein Jhoonta Gussa [Classic Revival]” by Mohammed Rafi?
The song “Khuli Palak Mein Jhoonta Gussa [Classic Revival]” by Mohammed Rafi was composed by Hasrat Jaipuri.

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