Kya Ajab Saaz Hai Shehnai

RAJINDER KRISHAN, RAVI SHANKAR

क्या अजब साज है ये शहनाई
दो ही सुर का ये खेल सारा है
क्या अजब साज है ये शहनाई
दो ही सुर का ये खेल सारा है
एक सुर जिंदगी का साहिल है
दूसरा मौत का किनारा है
एक सुर जिंदगी का साहिल है
दूसरा मौत का किनारा है
क्या अजब साज है ये शहनाई
दो ही सुर का ये खेल सारा है

ये बजे तो हयास की महफ़िल
तोरे बदन पे आके झम जाये
जिंदगी एक ख्वाब हो जाये
ये अगर बजते बजते थम जाये
ये चाँद कभी चाँद चौदहवीं का है
और कभी सुबाह का सितारा
ये चाँद कभी चाँद चौदहवीं का है
और कभी सुबाह का सितारा
क्या अजब साज है ये सहनाई
दो ही सुर का ये खेल सारा है

आह और वाह क्या ये संगम है
सुर और साज की ये जवानी है
आह और वाह क्या ये संगम है
सुर और साज की ये जवानी है
है अगर ये शबाब का ये किस्सा
एक बेवा भी कहानी है
कह को होता है आबशार नहीं
आंसुओ का भी एक धारा है
कह को होता है आबशार नहीं
आंसुओ का भी एक धारा है
क्या अजब साज है ये शहनाई
दो ही सुर का ये खेल सारा है

Trivia about the song Kya Ajab Saaz Hai Shehnai by Mohammed Rafi

Who composed the song “Kya Ajab Saaz Hai Shehnai” by Mohammed Rafi?
The song “Kya Ajab Saaz Hai Shehnai” by Mohammed Rafi was composed by RAJINDER KRISHAN, RAVI SHANKAR.

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