Navakalpana
नव कल्पना नव रूप से
रचना रची जब नार की
नव कल्पना नव रूप से
रचना रची जब नार की
सत्यम शिवम् सुंदरम से
शोभा बढ़ी संसार की
नव कल्पना
कला की दासी कामिनी
सोलह कला परिपूर्ण है
कला की दासी कामिनी
सोलह कला परिपूर्ण है
विश्वा मे विष कन्या के
ये नाम से प्रसीध है
नाम से प्रसीध है
भाव भाव अनुभाव से
सेवा करे भगवान की
नव कल्पना
चंद्रमा सौ मुख सलॉनो
श्याम वरना केश है
चंद्रमा सौ मुख सलॉनो
श्याम वरना केश है
नैनो से मृगानयणी है
वाणी मधुर उच्चारती
वाणी मधुर उच्चारती
नृत्या गान ट्रगढ़ान पूजा
इनका धरम है आरती
नव कल्पना
नि री गेया गेया री गेया नि री
पा मा गेया
सा नि पा मा गेया री
मा गेया री सा
देव लोक की देवदासी
सुंदर रूप लुभावनी
देव लोक की देवदासी
सुंदर रूप लुभावनी
सोलह शिगार सुहावनी
सोलह शिगार सुहावनी
शंख डमरू झांझ झालर
नुपूर ध्वनि मनमोनी
नव कल्पना नव रूप से
रचना रची जब नार की
नव कल्पना