Sanch Ko Aanch Nahin Pyare

Prem Dhawan

झूठ का दीप कभी न जलता सच की ज्योत अमर है
तेरे मन में खोट नहीं तो तुझको किसका डर है
साँच को आंच नहीं प्यारे कोई फिर हिम्मत क्यों हारे
सदा सच बोल अरे इंसान की सच को ही कहते भगवान
साँच को आंच नहीं प्यारे कोई फिर हिम्मत क्यों हारे
सदा सच बोल अरे इंसान की सच को ही कहते भगवान
साँच को आंच नहीं प्यारे

पर्वत को ना हटते देखा दरिया को ना रुकते
पर्वत को ना हटते देखा दरिया को ना रुकते
जो सच्चे है उनको हमने कभी ना देखा झुकते
तू भी सच का रख ले मान की सच को ही कहते भगवान
साँच को आंच नहीं प्यारे कोई फिर हिम्मत क्यों हारे

रात हो कितनी लम्बी फिर भी सूरज तो आएगा
रात हो कितनी लम्बी फिर भी सूरज तो आएगा
आखिर जित तो होगी सच की झूठ न फल पाएगा
कह गए बात ये लोग महान की सच को ही कहते भगवान
साँच को आंच नहीं प्यारे कोई फिर हिम्मत क्यों हारे

वो ही सुख पाते है जग में आए जिन्हे दुःख सहना
वो ही सुख पाते है जग में आए जिन्हे दुःख सहना
सिख ले तू फूलों से काँटो में भी हँसते रहना
सच्चा रस्ता तू पहचान की सच को ही कहते है भगवान
साँच को आंच नहीं प्यारे कोई फिर हिम्मत क्यों हारे
सदा सच बोल अरे इंसान की सच को ही कहते है भगवान
साँच को आंच नहीं प्यारे

Trivia about the song Sanch Ko Aanch Nahin Pyare by Mohammed Rafi

Who composed the song “Sanch Ko Aanch Nahin Pyare” by Mohammed Rafi?
The song “Sanch Ko Aanch Nahin Pyare” by Mohammed Rafi was composed by Prem Dhawan.

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